भारतीय राजनीति में एक नई हलचल मची है, जब कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी की नागरिकता को लेकर सवाल उठाए गए हैं। यह मामला अब अदालतों के दरवाजों तक पहुँच चुका है, जहाँ आलाहाबाद हाई कोर्ट ने गृह मंत्रालय को निर्देश दिया है कि वह 19 नवंबर तक इस मुद्दे पर निर्णय ले। यह आदेश एक जनहित याचिका (PIL) के आधार पर दिया गया है, जिसे कर्नाटक के बीजेपी कार्यकर्ता एस. विग्नेश शिशिर ने दायर किया था।
आलाहाबाद हाई कोर्ट की बेंच में न्यायमूर्ति अत्ताउ रहमान मसूदी और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्ती शामिल थे। कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि वह 19 दिसंबर को इस मामले की प्रगति साझा करे। केंद्र की सरकार ने सितंबर के अंत में इस प्रतिनिधित्व को स्वीकार किया था, जो अब प्रक्रिया में है।
शिशिर ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था क्योंकि उन्हें गृह मंत्रालय को भेजे गए दो प्रतिनिधित्वों का कोई जवाब नहीं मिला था, जिसमें उन्होंने राहुल गांधी की नागरिकता रद्द करने की मांग की थी। उनके अनुसार, उनके पास सबूत हैं कि राहुल गांधी वास्तव में ब्रिटिश नागरिकता रखते हैं।
शिशिर ने इस मामले में सीबीआई जांच की भी मांग की थी, और इस विषय पर एक समान याचिका पहले दिल्ली हाई कोर्ट में भी आई थी, जहां पूर्व बीजेपी सांसद सुबरामण्यम स्वामी ने गांधी की भारतीय नागरिकता रद्द करने की मांग की थी।
उन्होंने कहा, “मैंने इस मामले में सीबीआई के समक्ष भी पेश होकर अपने बहुत ही गोपनीय सबूत प्रस्तुत किए हैं। मामला वर्तमान में सीबीआई द्वारा जांच के अधीन है। देश की विभिन्न जांच एजेंसियां इस मामले की जांच कर रही हैं।”
शिशिर का दावा है कि उन्होंने गांधी की नागरिकता के बारे में “विशद जांच” की है और उन्होंने यूके सरकार से गोपनीय ईमेल भी प्राप्त किए हैं। याचिका में कहा गया है कि ब्रिटिश सरकार ने संकेत दिया है कि उसके पास गांधी की ‘ब्रिटिश राष्ट्रीयता’ के रिकॉर्ड हैं, लेकिन उसने ‘व्यक्तिगत डेटा’ का खुलासा करने से इनकार कर दिया।
यह भी बताया गया है कि जनरल डेटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन्स के तहत, ब्रिटिश सरकार इस जानकारी को तब तक प्रदान नहीं कर सकती जब तक कि राहुल गांधी की ओर से एक हस्ताक्षरित प्राधिकरण पत्र न मिले।
इस मामले का राजनीतिक और कानूनी दोनों ही परिप्रेक्ष्य में गहरा महत्व है। राहुल गांधी की नागरिकता से संबंधित सवाल न केवल उनकी व्यक्तिगत पहचान को प्रभावित कर सकते हैं, बल्कि यह भारतीय राजनीति में एक नई चर्चा का कारण भी बन सकते हैं। इस मामले की जांच और इसके परिणाम आने वाले समय में राजनीति के कई पहलुओं को प्रभावित कर सकते हैं।
राहुल गांधी की नागरिकता के मुद्दे की पृष्ठभूमि क्या है?
यह मामला तब शुरू हुआ जब एस. विग्नेश शिशिर ने राहुल गांधी की नागरिकता रद्द करने की मांग की।
आलाहाबाद हाई कोर्ट ने क्या आदेश दिया है?
कोर्ट ने गृह मंत्रालय को 19 नवंबर तक नागरिकता के मामले पर निर्णय लेने का आदेश दिया है।
क्या इस मामले में सीबीआई जांच हो रही है?
हां, सीबीआई इस मामले की जांच कर रही है और विभिन्न जांच एजेंसियां भी शामिल हैं।
शिशिर ने अपने सबूत कैसे प्रस्तुत किए?
शिशिर ने सीबीआई के समक्ष अपने गोपनीय सबूतों को पेश किया है।
ब्रिटिश सरकार ने क्या कहा है?
ब्रिटिश सरकार ने गांधी की ‘ब्रिटिश राष्ट्रीयता’ के रिकॉर्ड होने का संकेत दिया है, लेकिन व्यक्तिगत डेटा साझा करने से इनकार किया है।
क्या राहुल गांधी ने इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया दी है?
अभी तक इस मामले पर राहुल गांधी की तरफ से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
क्या यह मामला राजनीतिक प्रभाव डाल सकता है?
हां, यह मामला भारतीय राजनीति में चर्चा का विषय बन सकता है और इसके परिणाम राजनीतिक परिदृश्य को प्रभावित कर सकते हैं।
कौन सा कानून इस मामले में लागू होता है?
जनरल डेटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन्स इस मामले में लागू होते हैं।
क्या नागरिकता रद्द करने की प्रक्रिया कठिन है?
हां, नागरिकता रद्द करने की प्रक्रिया आसान नहीं है और इसमें कई कानूनी पहलू शामिल होते हैं।
क्या इस मामले का कोई अंतरराष्ट्रीय प्रभाव हो सकता है?
यह मामला अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा का विषय बन सकता है, खासकर ब्रिटिश नागरिकता के संदर्भ में।
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