हाल ही में हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में INDIA ब्लॉक की हार के बाद, कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण बयान दिया। उन्होंने कहा कि उन्हें Electronic Voting Machines (EVMs) की आवश्यकता नहीं है और वे बैलट पेपर की वापसी की मांग कर रहे हैं। यह बयान कांग्रेस के लिए एक नई रणनीति के संकेत के रूप में देखा जा रहा है।
मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, “हम EVMs नहीं चाहते, हम बैलट पेपर चाहते हैं।” इस बयान का उल्लेख PTI ने किया है। खरगे ने दिल्ली के टल्कटोरा स्टेडियम में ‘संविधान रक्षक अभियान’ कार्यक्रम के दौरान यह बात कही।
हाल ही में हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में, महा विकास अघाड़ी (MVA) को भाजपा-नेतृत्व वाले महायुति के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा। MVA ने 46 सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस को महज 16 सीटों पर संतोष करना पड़ा। वहीं, महायुति ने 288 सीटों में से 230 पर जीत हासिल की, जिसमें भाजपा ने 132, शिवसेना ने 57 और NCP ने 41 सीटें जीतीं।
खरगे और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने दोनों सदनों के अध्यक्ष को पत्र लिखकर संविधान पर दो दिन चर्चा कराने का अनुरोध किया है। खरगे ने कहा, “इस चर्चा के लिए समय आवंटित किया जाना चाहिए ताकि संविधान की अच्छाइयों और आज हो रही गलतियों पर बात की जा सके।” वे सरकार के जवाब की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
इसके अलावा, खरगे ने प्रधानमंत्री मोदी पर आरोप लगाया कि वे जाति जनगणना से डरते हैं और कहा, “हर कोई अपनी हिस्सेदारी की मांग कर रहा है।” उन्होंने भाजपा से कहा कि यदि वे वास्तव में देश में एकता चाहते हैं, तो उन्हें नफरत फैलाना बंद करना चाहिए।
खरगे का मानना है कि कुछ लोग संविधान की प्रशंसा करते हैं, लेकिन वास्तव में उसे कमजोर कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “राहुल गांधी जी ने संविधान की रक्षा के लिए भारत जोड़ो यात्रा शुरू की और लोकतंत्र को बचाने के लिए सभी अल्पसंख्यक आगे आए।” खरगे ने यह भी कहा कि वर्तमान सरकार बहुमत की सरकार नहीं बल्कि अल्पसंख्यक सरकार है, जो अन्य दलों के समर्थन पर निर्भर है।
इस प्रकार, मल्लिकार्जुन खरगे का बयान न केवल चुनावी हार के संदर्भ में है, बल्कि यह भारतीय राजनीति में एक नया मोड़ भी पेश करता है। बैलट पेपर की वापसी की मांग और संविधान पर चर्चा का प्रस्ताव यह दर्शाता है कि कांग्रेस अपनी रणनीति को पुनः संरेखित कर रही है। आने वाले समय में, यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या कांग्रेस अपने इस नए दृष्टिकोण से राजनीतिक मैदान में अपनी स्थिति को मजबूत कर पाएगी।
1. मल्लिकार्जुन खरगे ने EVMs के खिलाफ क्यों बोला?
खरगे का मानना है कि EVMs में पारदर्शिता की कमी है और वे बैलट पेपर के माध्यम से चुनावी प्रक्रिया को अधिक विश्वसनीय बनाना चाहते हैं।
2. हाल के चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन कैसा रहा?
कांग्रेस ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में केवल 16 सीटें जीतीं, जबकि महा विकास अघाड़ी को कुल 46 सीटों पर संतोष करना पड़ा।
3. संविधान पर चर्चा का प्रस्ताव क्यों दिया गया?
खरगे और राहुल गांधी का उद्देश्य संविधान की अच्छाइयों और वर्तमान में हो रही गलतियों पर गंभीर चर्चा करना है।
4. भारत जोड़ो यात्रा का क्या महत्व है?
यह यात्रा लोकतंत्र की रक्षा और सामाजिक एकता को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई थी, जो कांग्रेस की एक प्रमुख पहल है।
5. खरगे ने प्रधानमंत्री मोदी पर क्या आरोप लगाया?
खरगे ने आरोप लगाया कि पीएम मोदी जाति जनगणना से डरते हैं और देश में नफरत फैला रहे हैं।
6. महायुति ने कितनी सीटें जीतीं?
महायुति ने 288 सीटों में से 230 पर जीत हासिल की।
7. क्या खरगे ने किसी अन्य मुद्दे पर भी बात की?
हां, उन्होंने संविधान के प्रति लोगों की आस्था और उसके संरक्षण पर भी बात की।
8. क्या कांग्रेस की रणनीति बदल रही है?
हां, खरगे का बयान स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि कांग्रेस अपनी चुनावी रणनीति को पुनः संरेखित करने का प्रयास कर रही है।
9. क्या EVMs की वापसी की मांग का कोई ऐतिहासिक संदर्भ है?
बैलट पेपर का उपयोग भारतीय चुनावों में लंबे समय तक किया गया है, और कई राजनीतिक नेता इसकी वापसी की मांग कर चुके हैं।
10. खरगे की टिप्पणियों का भविष्य में क्या असर हो सकता है?
इन टिप्पणियों का असर कांग्रेस की आगामी चुनावी रणनीतियों और राजनीतिक विमर्श पर हो सकता है।
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